धमतरी,जिले में पर्याप्त वर्षा होने के कारण कृषि कार्य दु्रतगति से जारी हैं, कृषक खेतों की तैयारी के साथ-साथ धान की रोपाई में व्यस्त है, निचली भूमि में जल भराव के कारण धान की रोपाई आंशिक रूप से बाधित हुई, किन्तु मौसम के खुलने के साथ ही पुनः धान की रोपाई कार्य अंचल में शुरू हो चुकी है,आवश्यकतानुसार उर्वरकों का भण्डारण कर चुके हैं तथा छुटे हुए किसान लगातार समितियों के माध्यम से ब्याज मुक्त ऋण लेकर उर्वरकों का उठाव कर रहे हैं,कृषि वैज्ञानिकों के द्वारा लागत कम और मुनाफा ज्यादा हो इसके लिए नित नये अविष्कार किये जा रहे हैं।

उप संचालक कृषि मोनेश साहू ने बताया कि कृषि में नैनो टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करते हुए नैनो यूरिया एवं नैनो डीएपी ईजाद किया गया है, जो कि तरल रूप में अनुप्रयोग हेतु जिले में भण्डारण-वितरण किया गया है,नैनो यूरिया का उपयोग प्रति एकड़ 500 मि.ली. की दर से किया जाता है,नैनो यूरिया फसलों को पर्याप्त पोषण प्रदाय व कीट बीमारियों को कम करता है,साथ ही मिट्टी, जल एवं वायु को प्रदूषित नहीं करता और भण्डारण एवं परिवहन में सुविधाजनक, फसल उपज एवं गुणवत्ता में वृद्धि के साथ-साथ कम पानी वाले क्षेत्रों के लिए भी बेहतर होता है।
नैनो डीएपी में नाइट्रोजन तथा फॉस्फोरस दोनों तत्वों 8ः16 प्रतिशत होती है,किसानों के लिए सुविधाजनक,साथ ही बीज, जड़ एवं कंद उपचार भी की जा सकती है। इसके उपयोग से परम्परागत डीएपी के अनुप्रयोगों को 50-75 प्रतिशत तक कम की जा सकती है,नैनो डीएपी कम लागत में परम्परागत डीएपी की तुलना समान उपज देती है तथा आत्मनिर्भरता में कमी लाती है,लागत में 25-50 प्रतिशत तक कमी लाती है तथा पर्यावरण के लिए सुरक्षित विकल्प के तौर पर इस्तेमाल की जाती है,नैनो यूरिया एवं नैनो डीएपी का अनुप्रयोग अन्न वाली फसल दलहन-तिलहन, सब्जियां एवं फल-फूल वाली फसलों में आसानी से की जाती है, उप संचालक ने किसान भाईयों से अपील कि वे अपने नजदीकी समितियों से नैनो डीएपी एवं नैनो यूरिया प्राप्त कर अधिक से अधिक उपयोग करें, ताकि समय, राशि, श्रम एवं संसाधन की बचत हो सके।
