दुग्ध उत्पादन में दोहरी छलांग: महिलाएं बनीं सशक्त

धमतरी,ज़िला आज छत्तीसगढ़ के प्रगतिशील जिलों में अपनी सशक्त पहचान बना रहा है,कृषि, सिंचाई, पशुपालन, तकनीक, बैंकिंग से लेकर ईको-फ्रेंडली खेती तक, जिले में विकास का पहिया तेज़ी से घूम रहा है,न सिर्फ प्रशासन की योजनाओं का परिणाम है, बल्कि किसानों, पंचायतों और स्थानीय समुदायों की सहभागिता का है, कलेक्टर श्री अभिनाश मिश्रा की दूरदर्शी सोच और ज़मीनी काम ने जिले में सकारात्मक परिवर्तन को गति दी है

भंडारण और मंडियों में सुधार: किसानों की सबसे बड़ी ज़रूरत उनकी उपज का सुरक्षित भंडारण और बेहतर विपणन है, इसी सोच के तहत समितियों में नए गोदामों का निर्माण कराया जा रहा है, ताकि उपज खराब होने के डर से जल्दबाज़ी में बेचने की मजबूरी से राहत मिले,कुरुद और नगरी की मंडियों का आधुनिकीकरण किया जा रहा है,साफ-सुथरा वातावरण, उचित तौल, डिजिटल भुगतान जैसी सुविधाएं मिलेंगी,इससे पारदर्शिता बढ़ेगी और बिचौलियों की भूमिका कम होगी।

तकनीक से खेती: कुरुद का एआई और आईओटी प्रयोग कुरुद क्षेत्र के 20 गांवों में 200 किसानों के खेतों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) तकनीक का प्रयोग किया जा रहा है।,ये तकनीकें मिट्टी की नमी, तापमान, फसल की वृद्धि और कीट नियंत्रण की रियल टाइम जानकारी प्रदान करती हैं, 5 पंचायतों में मौसम केंद्र (वेदर स्टेशन) लगाए जा रहे हैं जो किसानों को मौसम के पूर्वानुमान उपलब्ध कराएंगे। यह एक पायलट प्रोजेक्ट है, और इसकी सफलता के बाद इसे पूरे जिले में लागू किया जाएगा, यह भविष्य की स्मार्ट खेती की नींव रख रहा है।

फसलों में विविधता: नारियल, मखाना और औषधीय खेती

नगरी क्षेत्र में 4000 नारियल के पौधों का रोपण किया गया है और एक नारियल नर्सरी की स्थापना की जा रही है,यह न केवल पर्यावरण संरक्षण की दिशा में मील का पत्थर है, बल्कि महानदी के तटीय क्षेत्र में हरित पट्टी के विकास से पारिस्थितिकी तंत्र (Ecosystem): सुदृढ़ होगा और स्थानीय समुदायों की आजीविका के नए द्वार खुलेंगे,औषधीय पौधों की खेती को 200 एकड़ में बढ़ावा दिया गया है,इस योजना में बाय-बैक व्यवस्था सुनिश्चित की गई है, जिससे किसान अपनी उपज की बिक्री को लेकर आश्वस्त रहेंगे,तालाबों और डुबान क्षेत्रों में मखाना की खेती को भी प्रोत्साहन मिल रहा है, जिसे इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के सहयोग से संचालित किया जा रहा है,खासतौर पर मछुआरा समुदाय के लिए नए रोज़गार और आय का स्रोत बन रहा है

दुग्ध उत्पादन में दोहरी वृद्धि: सफल मॉडल की मिसाल
धमतरी में दूध संग्रहण की शुरुआत में प्रतिदिन 6000 लीटर दूध एकत्र होता था, जो अब मात्र तीन महीनों में बढ़कर 12000 लीटर प्रतिदिन हो गया है,यह ग्रामीण अर्थव्यवस्था में जबरदस्त सुधार का संकेतक है, 12 नई दुग्ध समितियां खोली जा रही हैं, जिनमें से 6 नगरी क्षेत्र में स्थापित होंगी,इससे पशुपालन से जुड़े परिवारों को स्थायी आय और महिला स्वावलंबन को बढ़ावा मिलेगा, कलेक्टर श्री अभिनाश मिश्रा की पहल, निरीक्षण और निगरानी प्रमुख भूमिका निभा रही है,वे लगातार फील्ड में जाकर योजनाओं का मूल्यांकन कर रहे हैं

ग्रामीण विकास का एक आदर्श मॉड ज़िला केवल परंपरागत खेती पर निर्भर नहीं है, बल्कि तकनीक, विविधता, योजनाबद्ध सिंचाई और बैंकिंग सुविधाओं के साथ एक समग्र ग्रामीण विकास मॉडल के रूप में उभर रहा है,यह बदलाव स्थायी, सहभागी और पर्यावरणीय दृष्टि से संतुलित है,किसान अब आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहा है, और इसके पीछे है एक दूरदर्शी प्रशासन, जो सिर्फ योजनाएं नहीं बनाता, बल्कि ज़मीन पर क्रियान्वयन भी सुनिश्चित करता है,यह विकास एक सकारात्मक संदेश है कि अगर इच्छाशक्ति और सहभागिता हो, तो ग्रामीण भारत को नई ऊंचाइयों तक ले जाया जा सकता है।

नरहरा जलप्रपात को बढ़ावा : धमतरी जिले में पर्यटन की दृष्टि से बहुत कुछ है ,जैसे गंगरेल डैम, माड़मसिल्ली डैम – एशिया के सबसे पुराने मिट्टी के बांधों में से एक, दुधावा डैम, महानदी उद्गम स्थल – भौगोलिक और ऐतिहासिक महत्व का स्थल सप्तऋषि पर्वत – पौराणिक महत्व एवं प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण आदि अब नरहरा जलप्रपात पर्यटन स्थल को बढ़ावा दिया जा रहा है । यहाँ गुणवत्तापूर्ण मार्गदर्शन और सुरक्षा सुनिश्चित करने हेतु स्थानीय युवाओं को टूरिस्ट गाइड के रूप में प्रशिक्षित किया नरहरा में मचान हॉट बनाया गया, जिससे जलप्रपात एरिया देख सकेंगे, जिला प्रशासन ने पर्यटन को बढ़ावा देने ₹5 लाख खर्च कि, एडवेंचर टूरिज्म की शुरुआत हुई। रोप-वे, ट्रैकिंग किट और झूलों का बच्चें खूब आनंद ले रहे ।

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